बेटी की शादी तय होने के बाद एक माँ को कौन कौनसी बातें समझानी चाहिए जिससे कि बेटी की शादीशुदा जिन्दगी हमेशा खुशहाल रहे?
बेटी हो या बेटा आप उसके जीवन के पंद्रह साल तक एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हो क्योंकि एक बच्चा अपने घर से,परिवार से बहुत कुछ सीखता है। इसलिए आपको अपने बच्चों के लिए जो भी प्रयास करना है वो पंद्रह साल के अंदर ही करना है और मेरे मतानुसार यही उम्र होती है ग्रहण करने की,अनुसरण करने की और इसके बाद तो इंसान स्वयं इच्छानुसार रास्ता चुनने लगता है *
अगर आप बचपन से ही बच्चो को अपनो का महत्व और परिवार का महत्व समझाएंगे तो आपको बड़े होकर कोई असफल प्रयास नही करना पड़ेगा। अगर आप चाहती है कि आपकी लड़की शादी के बाद एक मजबूत परिवार की नींव बने तो उसके लिए आपको स्वयं के रिश्तों को भी मजबूत बनाना होगा क्योंकि आपकी बेटी आपको ही देखकर बड़ी हो रही है और अगर आप उसके लिए एक अच्छा उदाहरण बन सकते है तो आप जरूर उसकी अप्रत्यक्ष रूप से मदद कर पाएंगे*
एक लड़की अगर मां-बाप के बीच अच्छे सम्बन्ध को देखेगी तो उसे इस रिश्ते का सम्मान करना जरूर आएगा। इसी तरह जब एक लड़की घर में क्लेश देखती है और अपनी माँ के दिल में अन्य रिश्तों के लिए कड़वाहट देखती है तो बड़ा ही कठिन होगा उंस लड़की के लिए अपने दिल में प्यार और सम्मान को जगह देना। अधिकांश बच्चे यही देखकर बड़े होते कि उनकी मां की उनकी दादी और चाची,ताई से नही बनती और उनकी मां उनके सामने एक पीड़ित की तरह होती
हैजी एक जो सबका जुल्म झेलती है और इसी तरह अधिकांश चाचा और ताऊ आपको बेईमान मिलेंगे जिन्होंने उनके पापा के साथ गलत किया होता है और ये शिकायत आप मध्यम
वर्गीय परिवार के अधिकतर बच्चो से सुन लोंगे।अब अगर आप अपने इन बच्चों से उम्मीद करो कि ये अपने जीवन के रिश्तों को सम्भाल पाएंगे और उनमें प्यार और अपनापन बनाए रख पाएंगे तो आप गलत है फिर जब यही बच्चे अपने भाई और बहनों से दूरी बनाएंगे ,उनको गलत ठहराएंगे तो आपको दुख होगा लेकिन यही सृष्टि का नियम है,आप जो दोंगे इस संसार को, ये संसार आपको वही लौटाएगा*
ससुरालवाले यदि एक बार अपनी बेटी का विवाह कर देने के बाद बेटी दामाद दोनों से पिंड छुरा ले घर में घुसने ही नहीं दें तो क्या करना चाहिए?*हैं
किस जगह पर पिता अपनी ही बेटी से शादी कर सकता है?*
क्या मैं अपनी माँ के मामा के बेटे की बेटी से शादी कर सकता हूँ?
विवाहित बेटी के घर में एक पिता को क्यों नहीं रहना चाहिए?
ऐसी कौन सी जगह है जहाँ पर बेटी ही बनती है अपनी माँ की सौतन और पिता ही करता है बेटी से शादी?
बेटी की शादी तय हो जाना एक तरफ एक माँ के लिए बहुत ही खुशी की बात होती है तो दूसरी ओर थोड़ी चिंता की बात भी।क्योंकि बेटी को दूसरे घर जाना होता है जहा वो सभी लोगों की सोच और समझ और व्यवहार से अनजान होती है।एक माँ अपनी बेटी का रिश्ता जिस घर से और जिस लड़के से जोड़ती है वह उसकी छानबीन अपनी कोशिस से अच्छा ही करती है फिर भी मा की चिंता तब तक नही मिटती जबतक उसकी बेटी अपने शादी के कुछ वर्ष अपने ससुराल में हस्ते खेलते अच्छेसे न बिता ले।
शादी तय होने के बाद एक माँ अपनी बेटी को बहुत सी बातें समझाती है और उसे समझाना भी चाहिए।
१.मा को अपनी बेटी को यह समझाना चाहिए कि ये घर तुम्हारा था,तुम्हारा है और तुम्हारा हमेशा रहेगा तो यहा सभी तुम्हे अछेसे जानते है और तुम यहा सबको जानती हो।परंतु अब तुम एक नए घर और नए लोगो से रिस्ता जोड़ने जा रही हो तो वहा जाकर सबको धीरे धीरे समझने की कोशिश करना,उनके विचारों को समझना,उनकी इच्छाओं को समझना,रिश्तों को समझने और समझाने में थोडा वक़्त देना।
२.सुबह समय से उठना, फ्रेश होकर अपने घर के कार्यो में लग जाना।और अपने दिन भर के कार्य को बड़े ही मन और दिलसे पूरा करना।कार्यो को समय के अनुसार खूब सफाई के साथ करना तभी तुम सबको खुश कर पाओगी।
३.घरवालो के छोटी छोटी बातों पे गुस्सा या नाराज़ मत होना।तुम भी उन्हें समझने की कोशिश करना और उन्हें भी तुम्हे समझने का वक़्त देना।छोटी बातों को इग्नोर करने की कोशिश करना।किसी भी बात को दिल से लगाकर दिन भर सोचते रहने से गुस्सा बढ़ता है,मन खराब होता है,टेंशन बढ़ती है,रिश्ते उलझते है और अपना सरीर खराब होता है।
४.पॉजिटिव सोच रखना।कई बार कई लोग रिस्तो में दूरियां डालने की कोशिश करते है पर तुम अपने साथ ऐसा मत होने देना।बुद्धि से काम लेना।कोई भी फैसले को सोच समझकर लेना।जल्दबाजी में लिए गए फैसले अक्सर गलत होते है।
५.अच्छा सोचना,ठीकसे रहना,हमेशा हस्ते और हँसाते रहना,छोटो बड़ो का मान समान करना,सबकी बात सुनना, रिस्तो को अपना बनाते चलना।
६.फ़िज़ूल खर्चे मत करना।अपना संसार सोच समझकर चलाना।
७.किसी की बातों को इधर उधर मत करना इससे रिश्ते खराब होते है।
८.अपने पति और सभी से प्रेम बनाये रखना।
अंत मे मैं, एक माँ,अपनी बेटी से यह कहना चाहूंगी कि बेटा इन सभी बातों को ध्यान रखते हुए तुम यह मत भूल जाना कि तुम भी एक औरत हो,इंसान हो,तुम्हारी भी अपनी खुशियां है अपने सपने है,अपना मान सम्मान है।अगर तुम्हें कोई दिक्कत या कोई भी परेशानी हो अपने ससुराल में तो अपने ससुराल वालों को और अपने माता पिता को ज़रूर बताना।उलझे रिश्तों में अपनों की सलाह लेना उन्हें जानकारी देना बहुत ज़रूरी है।
अंत मे ये कहूंगी अत्याचार न तुम करना,न करने देना और न ही अत्याचार को सहना।आवाज़ उठाना, आवाज़ उठाना और आवाज़ उठाना।
बुधवार, 22 फ़रवरी 2023
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बेटी की शादी जब तय हो जाए तो क्या करना चाहिए
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