रिस्ते तो पहले होते थे अब रिश्ते नही सौदे होते है - ANSH DARPAN

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शनिवार, 20 मई 2023

रिस्ते तो पहले होते थे अब रिश्ते नही सौदे होते है

निवेदन है की दो मिनट का टाइम निकाल कर जरूर पढ़े ये बकवास नहीं है सच्चाई है समाज की एक कटु सत्य..! रिश्ते तो पहले होते थे। अब रिश्ते नही सौदे होते हैं। बस यहीं से सब कुछ गङबङ हो रहा है। किसी भी माँ बाप मे अब इतनी हिम्मत शेष नही बची कि बच्चों का रिश्ता अपनी मर्जी से कर सकें ..

पहले खानदान देखते थे। सामाजिक पकङ और सँस्कार देखते थे और अब .... मन की नही तन की सुन्दरता , नोकरी , दौलत , कार , बँगला। साइकिल , स्कूटर वाला राजकुमार किसी को नही चाहिये । सब की पसंद कारवाला ही है। भले ही इनकी संख्या 10% ही हो । लङके वालो को लङकी बङे घर की चाहिए ताकि भरपूर दहेज मिल सके और लङकी वालोँ को पैसे वाला लङका ताकि बेटी को काम करना न पङे। नोकर चाकर हो। परिवार छोटा ही हो ताकि काम न करना पङे और इस छोटे के चक्कर मे परिवार कुछ ज्यादा ही छोटा हो गया है। पहले रिश्तो मे लोग कहते थे कि मेरी बेटी घर के सारे काम जानती है और अब.... हमने बेटी से कभी घर का काम नही कराया यह कहने में शान समझते हैं। इन्हें रिश्ता नही बेहतर की तलाश है। रिश्तों का बाजार सजा है गाङियों की तरह। शायद और कोई नयी गाङी लांच हो जाये। इसी चक्कर मे उम्र बढ रही है। अंत मे सौ कोङे और सौ प्याज खाने जैसा है अजीब सा तमाशा हो रहा है। अच्छे की तलाश मे सब अधेङ हो रहे हैं। अब इनको कौन समझाये कि एक उम्र मे जो चेहरे मे चमक होती है वो अधेङ होने पर कायम नही रहती , भले ही लाख रंगरोगन करवा लो ब्युटिपार्लर मे जाकर। एक चीज और संक्रमण की तरह फैल रही है। नोकरी वाले लङके को नोकरी वाली ही लङकी चाहिये। अब जब वो खुद ही कमायेगी तो क्यों आपके या आपके माँ बाप की इज्जत करेगी.? खाना होटल से मँगाओ या खुद बनाओ बस यही सब कारण है आजकल अधिकाँश तनाव के से एक दूसरे पर अधिकार तो बिल्कुल ही नही रहा। उपर से सहनशीलता तो बिल्कुल भी नहीं। इसका अंत आत्महत्या और तलाक होता है .. घर परिवार झुकने से चलता है , अकङने से नहीं.। जीवन मे जीने के लिये दो रोटी और छोटे से घर की जरूरत है बस और सबसे जरुरी आपसी तालमेल और प्रेम प्यार की लेकिन..... आजकल बङा घर व बङी गाङी ही चाहिए चाहे मालकिन की जगह दासी बनकर ही रहे। आजकल हर घरों मे सारी सुविधाएं मौजूद हैं.... कपङा धोने की वाशिँग मशीन मसाला पीसने की मिक्सी पानी भरने के लिए मोटर मनोरंजन के लिये टीवी बात करने मोबाइल फिर भी असँतुष्ट...है पहले ये सब कोई सुविधा नहीं थी। पूरा मनोरंजन का साधन परिवार और घर का काम था , इसलिए फालतू की बातें दिमाग मे नहीं आती थी। न तलाक न फाँसी आजकल दिन मे तीन बार आधा आधा घँटे मोबाइल मे बात करके , घँटो सीरियल देखकर , ब्युटिपार्लर मे समय बिताकर। मैं जब ये जुमला सुनता हूँ कि घर के काम से फुर्सत नही मिलती तो हंसी आती है। बेटियों के लिये केवल इतना ही कहूँगा की पहली बार ससुराल हो या कालेज लगभग बराबर होता है। थोङी बहुत अगर रैगिँग भी होती है तो सहन कर लो। कालेज मे आज जूनियर हो तो कल सीनियर बनोगे। ससुराल मे आज बहू हो तो कल सास बनोगी। समय से शादी करो। स्वभाव मे सहनशीलता लाओ। परिवार में सभी छोटे बङो का सम्मान करो। ब्याज सहित वापिस मिलेगा।
आत्मघाती मत बनो। जीवन में उतार चढाव सबके ही आता है बस जिन माता पिता ने अपनी योग्यता उपयोगिता और प्रतिभा को निखारने हेतु अपनी बच्चियों में सक्षम बनने वाली सीख भरी है वो तो परिणाम सुखद सुजस वर्धक दे रही हैं अन्यथा जो मां बाप यह कहने में संकोच नहीं करते कि हमारी बिटिया रानी कोई काम नहीं की हुई है और न ही कभी एडजस्ट किया है ऐसे मां बाप अपनी ही बेटी का गला घोंटने का काम कर रहे हैं और बिटिया को सह ऊपर से देते हैं कि डरना मत मैं तुम्हारे साथ हूं वो परिवार में कैसे निभायेगी वो तो हरहाल में घर को नरक बनाने वाली गतिविधियों को ही अन्जाम देगी और भवभयबाधा युक्त वातावरण ही निर्माण करने को उद्यत रहेगी कृपया सभी माई बाप अपनी बेटी को योग्य शिक्षा के साथ सुयोग्य चाल चलन, रहन सहन और पारस्परिक पारिवारिक सौहार्द्र सामंजस्य सौम्यता और सहयोगयुक्त प्रेम भाव भी निर्वाह करने की प्रेरणा देने वाले सच्चे मन कर्म और वचन से साश्वत सनातन धर्म संस्कृति सभ्यता और परंपरा को जीवित रखने वाले माता पिता बनें अन्यथा अब वह दिन दूर नहीं जब हर परिवार में पश्चिमी देशों से ओतप्रोत पाश्चात्य संस्कृति सभ्यता ही प्रसरेगी आप सभी सुजनसुजान जनमानस समाज हित में स्वयं ही पहल करें यदि आप सभी परिवारी स्वजन बंधु बांधव सखा अपनी औलाद को समय रहते नहीं समझे तो हम सभी परिवारी स्वजनों का पतन होने से कोई भी शक्ति नहीं बचा सकती है। सो समय रहते सोचो समझो फिर फैसला लो। बड़ों से बराबर राय सलाह लो। उनके ऊपर और सबके ऊपर वाले सच्ची सत्ता पर प्रेमपूरित विश्वास रखो और दिल पर हाथ रख मन प्रफुल्लित कर विचार अवश्य करें कि हम कहां से कहां आ गये और हम स्वयं ही अपने पतन होने वाले चरित्र निर्माण करने से बाज नहीं आ रहे हैं कृपया हम अपने बेटे और बेटी दोनों को ही स्वस्थ वातावरण निर्माणी सनातनी सीख दें ताकि भविष्य उज्जवल हो सके…

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