एक बार एक राजा ने अपने राज्य के सबसे कुशल कारीगर को महल में बुलाया। राजा कारीगर की कला से बहुत प्रभावित था। उसने कारीगर को दरबार में बुलाया और कहा, “तुम हमारे लिए राज्य का सबसे सुदर महल बनाओ। हमारे पास धन को कोई कमी नहीं है तुम जितना धन मांगोगे उतना तुम्हे मिलेगा।
कारीगर कुशल तो था लेकिन उसे अपनी कला का घमंड आ चूका था। सब जगह से अपने काम की तारीफ सुनकर अब उसके मन में कामचोरी और आलस्य की प्रवति आ चुकी थी
खैर, कारीगर महाराज की आज्ञा पा कर अपने काम में जुट गया। लेकिन थोड़े ही दिन बाद उसके मन में विचार उठा की क्यों न रद्दी, घटिया किस्म का माल लगाकर जल्दी से जल्दी महल का क्काम समाप्त कर के मोटा मुनाफा कमा लिया जाए। और उसने यही किया।
कारीगर ने घटिया किस्म का माल लगाकर महल की भुरभुरी दीवारें कड़ी कर दी।कारीगर ने बाहर से महल को सुन्दर साज सज्जा से चमका दिया लेकिन अन्दर से महल में क्जच्चा माल लगा था। थोड़े ही दिन में आकर्षक सुन्दरता वाला, सोने सी चमक-दमक वाला सुन्दर सा महल तैयार हो गया।*
*महल खड़ा करने के बाद अक्रिगर राजा की सेवा में पहुंचा और राजा को महल के बन्नने की सुचना दी। राजा अगले ही दिन महल का निरिक्षण करने के लिए पहुंचे। महल को देख राजा बहुत ही प्रभावित हुए।महल बहुत ही आकर्षक और सुन्दर लग रहा था।
*राजा ने कारीगर की बहुत प्रशंशा की और कहा, “में तुम्हारी कुशलता से बहुत प्रभावित हूँ। इतने सुन्दर महल निर्माण के लिए तुम्हे जो भी इनाम दिया जाए वो कम है। में सोच रहा हूँ इस अद्भुत कार्य के लिए तुम्हें क्या इनाम दिया जाए। फिर थोडा सोच विचार कर महाराज मुस्कुराए और बोले, “लो तुम्हें यही यही महल पुरूस्कार में देता* हूँ।”
महाराज की बात सुनकर कारीगर हतप्रभ रह गया। उसे क्या मालूम था की जिस महल को वह घटिया माल से बना रहा है वही महल एक दिन उसे इनाम में मिल जाएगा।
राजा महल का निरिक्षण कर और महल को कारीगर को इनाम में दे ककर चले गए। कारीगर अपने किए पर मुह छिपा कर रोने लगा।
इनाम के लालच में कारीगर का बनाया गया खोखला महल उसी के हत्थे चढ़ गया।
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